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Janmashtami Speech In Hindi 2022: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भाषण की तैयारी यहां से करें
एक बार देवता इंद्र को गुस्सा आ गया था कि लोग उनकी पूजा का विरोध कर रहे थे, इसलिए उन्होंने अपने विरोधियों को सबक सिखाने के लिए ऐसी मूसलाधार बारिश करनी शुरू की।.
Janmashtami Speech In Hindi जन्माष्टमी पर भाषण: भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। कृष्ण देवकी और वासुदेव के पुत्र थे। जब कृष्ण का जन्म हुआ, मथुरा पर उनके चाचा राजा कंस का शासन था। भगवान श्री कृष्ण के जन्म से पहले ही राजा कंस को पता था कि उसकी मृत्यु भगवान कृष्ण के द्वारा होगी, इसलिए उसने अपनी बहन देवकी के 7 पुत्रों को मार दिया। लेकिन जब उन्होंने आठवें पुत्र को मारना चाहा तो ये संभव नहीं हो पाया। जब दुष्ट राजा ने बच्चे को मारने की कोशिश की, तो वह देवी दुर्गा में परिवर्तित हो गई और आकाशवाणी हुई की तेरा अंत करने के लिए कृष्ण का जन्म हो चुका है। इस तरह कृष्ण वृंदावन में पले-बढ़े और अंत में अपने चाचा कंस का वध कर दिया। आइए जानते हैं भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव जन्माष्टमी पर भाषण कैसे लिखें या पढ़ें।
निम्बार्क व गौड़िया परम्पराओं को मानने वाले राधा को कृष्ण की तुलना में अधिक सम्मानजनक स्थान देते हैं और इस संदर्भ में अक्सर उस घटना का उल्लेख करते हैं जब कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनकी या छोटी उंगली पर उठाया था। दरअसल, वर्षा के देवता इंद्र को गुस्सा आ गया था कि लोग उनकी पूजा का विरोध कर रहे थे, इसलिए उन्होंने अपने विरोधियों को सबक सिखाने के लिए ऐसी मूसलाधार बारिश करनी शुरु की जिसमें किसी का बच पाना संभव न था। इस कहर से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। इस प्रकार पर्वत की शरण में आकर इंसान व जानवर इंद्र के गुस्सा यानी बारिश के कहर से बच सके।
कृष्ण के इस चमत्कार से गोप व गोपियां बहुत प्रसन्न हुए और वह कृष्ण का गुणगान करने लगे। उनकी तरफ शरारत से आंख मारते हुए कृष्ण ने कहा कि देखा मैंने तुम सबको केवल अपनी एक उंगली से ही सुरक्षित कर दिया है। उसी समय राधा कृष्ण की तरफ बनावटी गुस्से से देखती हैं और घोषणा करती हैं कि वह पर्वत की छाया से बाहर निकलकर जा रही हैं। राधा के ऐसा कहते ही पर्वत खतरनाक ढंग से एक तरफ को झुकने लगता है जिससे हर कोई डर जाता है। चारों तरफ हाहाकार मच जाता है और तब कृष्ण राधा से आग्रह करते हैं कि रुको राधे! मैं तो सिर्फ मजाक कर रहा हूं। तुम्हारी ऊर्जा के बिना मैं इस पर्वत को नहीं उठा सकता। यह तुम हो जिसने इस पर्वत को उठाया है। तुम मेरी ऊर्जा हो। कृपया मत जाओ।
राधा के भक्त कहते हैं कि गोकुल का शरारती माखन चोर कृष्ण इतना हृदयविहीन है कि वह पहले उनसे उनके सभी सहारे छीन लेता है और जब उनके हृदय प्रत्येक इच्छा व महत्वाकांक्षा से खाली हो जाते हैं तो वह उनके हृदय को भी चुरा लेता है। इसलिए कृष्ण से बड़ा कोई 'चोर' नहीं है। लेकिन राधा कृष्ण से भी बाजी मारने में सक्षम हैं, इसलिए वह कृष्ण का ही दिल चुरा लेती हैं। हमारे मौहल्ले में जो राधा-कृष्ण मंदिर है उसमें हर साल बरसाना और गोकुल के माहौल को फिर से दोहराने का सफल प्रयास किया जाता है। हमारे बुजुर्ग आपस में मिलकर बैठते हैं यह चर्चा करने के लिए कि कृष्ण को राधारानी का पीछा करने से कैसे रोका जाए? सवेरे के समय बरसाना व गोकुल के गोसाईं, दोनों रत्नों के जन्म की चर्चा करते हैं कि किस प्रकार उनके अपने अपने गांवों में इन दोनों रत्नों ने जन्म लिए हैं। साथ ही इनके भविष्य के संदर्भ में भी भविष्यवाणी की जाती है।
एक गोसाईं राधा के पिता वृषभानु की भूमिका अदा करता है और बताता है कि किस तरह उसने एक नवजात कन्या को यमुना में कमल की बड़ी पत्ती पर तैरते हुए पाया। जब वह यह सोच रहा था कि इस कन्या का क्या किया जाए तभी ब्रहमा और नारद प्रकट हुए और उन्होंने भानु को बताया कि यह दैविक कन्या उसके पूर्व जन्मों की तपस्या का फल है। यह सुनकर अन्य गोसाईं प्रसन्न होते हैं कि उनका गांव दैविक योजना का हिस्सा बन गया है। वर्षों बाद बरसाना के गोसाईं शिकायत करते हैं कि उनकी सुंदर राधा के लिए कृष्ण एक बहुत बड़ी मुसीबत बन गए हैं। कृष्ण हर रोज उनके गांव आते हैं कभी मनिहार यानी चूड़ी बेचने वाले के भेष में तो कभी गांव के वैद्य के रूप में। केवल इसलिए कि उन्हें राधा के नाजुक हाथों को पकड़ने का अवसर और राधा को देखने का मौका मिल जाए। राधा की सखियां कृष्ण को भगाने का प्रयास करती हैं, लेकिन कृष्ण हर बार उन्हें बेवकूफ बना देते हैं। गोसाईं शिकायत करते हैं कि राधा का पीछा करते समय कृष्ण मक्खन भरी मटकियों को तोड़ते हैं और अपने गोपों व बंदरों की टोलियों से ग्रामीणों को परेशान करते हैं।
लेकिन दूसरी ओर गोकुल के गोसाईं कृष्ण का जबरदस्त बचाव करते हैं और गर्व से कहते हैं कि रोजाना यशोदा के घर के सामने लड़कियों के परिजन कतार लगाते हैं ताकि काले रंग के कान्हा के लिए विवाह का प्रस्ताव दे सकें। इसलिए गोकुल के गोसाईं सवाल करते हैं तो फिर कृष्ण अपने से उम्र में बड़ी लड़की (राधा) का पीछा क्यों करेंगे। उन्होंने सुन रखा है कि राधा कृष्ण से 11 दिन या संभवतः कुछ वर्ष बड़ी हैं। बरसाना के गोसाईं गुस्से में भड़कते हैं कि गोकुल का बेबाक ग्वाला हमेशा अकेला या कुंवारा ही रह जाएगा। यशोदा को रोता हुआ देखकर, राधा की मां किराती गोसाइंयों से आग्रह करती हैं कि वह उनके बच्चों के भविष्य के बारे में चर्चा करना बंद कर दें। यशोदा को दिलासा देते हुए किराती उनसे कहती हैं कि वह खुशी खुशी अपनी बेटी की शादी कृष्ण से कर देंगे। बदले में यशोदा वायदा करती हैं कि वह अपने बच्चे को शांत स्वभाव का बनाएंगी। यशोदा को राहत मिलती है कि उनके लड़के को दुल्हन मिल जाएगी।
बरसाना गांव का एक बुजुर्ग किराती को सावधान करता है कि हृदयविहीन कृष्ण से वह अपनी नाजुक बेटी राधा की शादी करके उसे नुकसान पहुंचाएगी। राधा एक राजकुमारी है इसलिए उसे वर के तौरपर एक सुंदर व रईस राजकुमार मिलना चाहिए, ऐसा वह बुजुर्ग राधा की मां से कहते हैं। जन्माष्टमी से लेकर राधाष्टमी तक वातावरण में दैविक प्रेेम ही बसा रहता है। पूरा माहौल अंतरंग-शक्ति से भरा रहता है। केवल प्रेम भक्ति से ही कोई व्यक्ति राधा और कृष्ण की लीला का आनंद ले सकता है। बिना किसी स्वार्थ के विधि भक्ति का पालन करने के बाद जीव के भीतर खामोश सकारात्मक परिवर्तन उत्पन्न होता है और वह प्रेम भक्ति की ओर अग्रसर होता है, लेकिन इस बदलाव में कई जन्म भी लग सकते हैं। जब कृष्ण को अपने प्रेम की शुद्धता का अहसास होता है तो वह उसे कसकर पकड़ लेते हैं और उसका आनंद उठाते हैं।
सांसारिक मोहमाया को त्यागने और अपने अपने गुरुओं की कृपा से चैतन्य महाप्रभु, रूपा गोस्वामी और जीवा गोस्वामी, जो गौड़िया वैष्णव परम्परा के महान संत हैं, राधा-कृष्ण के मधुर भाव की परिकल्पना करने में सफल हो सके थे और उन्होंने लीला को ऐसे देखा जैसे कि वह फिल्म देख रहे हों। इन महान संतों का कहना है कि पुरूष और प्रकृति की दैविक एकता को उसी समय समझा जा सकता है जब आप निःस्वार्थ और मुक्तिप्राप्त किए हुए व्यक्ति हों। राधा-कृष्ण को कभी अलग नहीं किया जा सकता जैसे पुरूष अपना विस्तार करता है अपने लिए आनंद (राधा) उत्पन्न करने के लिए, इसलिए वह दो नहीं बल्कि एक हैं। यही अद्वैतवाद हैं। अगर आप कृष्ण और राधा को अलग अलग समझते रहेंगे तो इसका अर्थ है कि आप मोह माया में फंसे हुए हैं। लेकिन जिस समय आप कृष्ण-राधा की परिकल्पना एक के रूप में करते हैं तो आपको यह पूरी लीला समझ मंे आ जाती है और तभी आप इसका आनंद ले पाते हैं।
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जन्माष्टमी पर हिंदी में स्पीच (Speech on Janmashtami in Hindi)
वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकीपरमानन्दं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्॥
यहाँ उपस्थित सभी माननीय जनो को मेरा नमस्कार!
आज मुझे यह अवसर मिला है कि अपने प्रिय त्योहार कृष्ण जन्माष्टमी पर मैं आपके सामने अपने विचार रखूँ।
यह त्योहार भगवान कृष्ण के जन्म के उपलक्ष में मनाया जाता है, जो सबसे प्रिय हिंदू देवताओं में से एक हैं। कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है, जो धर्म (सत्य) की स्थापना करने और भक्तों की रक्षा करने के लिए पृथ्वी पर आए थे। यह त्योहार हिंदू महीने भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है, जो अगस्त या सितंबर में आता है।
चलिए, मैं आपको भगवान कृष्ण के जन्म की कहानी सुनाता/सुनाती हूँ।
बहुत समय पहले, मथुरा नामक एक सुंदर नगर में एक क्रूर राजा कंस रहता था। जब उसकी बहन देवकी का विवाह राजकुमार वसुदेव से हुआ, तभी एक भविष्यवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र, कंस को उसके बुरे कर्मों की सजा देगा। इस भविष्यवाणी से डरकर और क्रोधित होकर, कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में बंद कर दिया।
स्वयं भगवान विष्णु, देवकी और वसुदेव के पुत्र के रूप में पृथ्वी पर आए। बाल-कृष्ण को कंस से सुरक्षित रखने के लिए, वासुदेव उन्हें यमुना नदी के पार एक दुसरे गाँव गोकुल ले गए। गोकुल में यशोदा और नंद ने बड़े प्यार से कृष्ण का पालन-पोषण किया।
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कृष्ण बहुत ही नटखट और चंचल थे, लेकिन उन्होंने कई सहास से भरे अद्भुत काम भी किए। कृष्ण ने कई राक्षसों से लड़ाई की और अपने गाँववालों की रक्षा की। बड़े होने पर, कृष्ण मथुरा लौटे और उन्होंने कंस को उसके बुरे कर्मों की सजा दी।
इस शुभ दिन पर, भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाने के लिए विशेष तैयारियाँ की जाती हैं। मंदिरों और घरों में, झूलों को फूल पत्तियों से सजाया जाता है और बाल कृष्ण की मूर्ती को झूले पर रखकर उनका सम्मान किया जाता है। कृष्ण के बचपन की लीलाओं और उनके बुद्धिमता और साहस भरे कार्यों का प्रदर्शन करने के लिए विशेष झाँकियाँ निकली जाती हैं। छोटे बच्चे कृष्ण और राधा की तरह तैयार होकर कृष्ण लीलाएँ दिखातें हैं जो बहुत ही मनमोहक लगता है।
जैसे कृष्ण के माता-पिता वसुदेव और देवकी ने उनके जन्म के दिन उपवास किया था, वैसे ही लोग जन्माष्टमी के दिन उपवास कर अपने प्रिय कृष्ण का इंतज़ार करते हैं।
पूरे देश में दही हांडी कार्यक्रम का एक विशेष उत्साह देखने को मिलता है। इस कार्यक्रम में बच्चे और युवा मानव पिरामिड बनाकर दही या मक्खन से भरे मटके (हांडी) को तोड़ते हैं, जो बालकृष्ण की नटखट और चंचल प्रकृति को दर्शाता है।
जन्माष्टमी न केवल आनंद और उत्सव का अवसर है, बल्कि यह हमें साहस, प्रेम और हमेशा सही काम करने की सीख देता है। यह त्यौहार हमें याद दिलाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई से जीतती है। जन्माष्टमी का त्यौहार हमें कृष्ण की अर्थपूर्ण शिक्षाओं को अपनाने और सही जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।
आप सबको जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ-कामनाएँ!
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जन्माष्टमी पर निबंध | Essay on Janmashtami in Hindi
हेलो दोस्तों, आज हमलोग इस लेख में जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में ( Janmashtami in Hindi ) पड़ेंगे जो कि आपको Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 व अन्य competitive examination जैसे कि SSC, UPSC, BPSC जैसे एग्जाम में अत्यंत लाभकारी साबित होंगे। जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on Janmashtami Festival) के अंतर्गत हम जन्माष्टमी से संबंधित पूरी जानकारी को विस्तार से जानेंगे इसलिए इसे अंत तक अवश्य पढ़ें।
Short Essay on Janmashtami
निबंध का विषय | जन्माष्टमी |
भगवान श्री कृष्ण की माता | देवकी |
भगवान श्री कृष्ण के पिता | वासुदेव |
भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थान | कंस के कारागार में (मथुरा) |
जन्माष्टमी के अन्य नाम | कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्री कृष्ण जयंती, श्री जयंती आदि। |
प्रस्तावना :
जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। यह पर पूरी दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ सभी श्रद्धालु मनाते हैं। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीयों के द्वारा पूर्ण आस्था एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण युगो युगो से हमारी आस्था और ध्यान का केंद्र है। वह कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं तो कभी ब्रज के नटखट कन्हैया जो सारे जगत के पालनहार हैं।
जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है:
भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है जो कि रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र थे। श्री कृष्ण का जन्म मथुरा नगरी के राजा कंस के कारागार में हुआ था। मथुरा नगरी के राजा कंस के अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय भविष्यवाणी हुए कि उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेव के साथ कालकोठरी में डाल दिया। कंस ने देवकी के कृष्ण के पहले सातों पुत्रों की हत्या कर दी।
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जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया था कि वे श्री कृष्ण को गोकुल में यशोदा मैया और नंद बाबा के पास छोड़ आए, जहां वह अपने अत्याचार कंस मामा से सुरक्षित रह कर अपना पालन पोषण कर सके। इनका पालन-पोषण यशोदा मैया और नंद बाबा की देखरेख में ही हुआ। बस उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रति वर्ष जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
सभी जातियों के लोग इस दिवस को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। जन्माष्टमी का त्योहार सभी हिंदुओं के लिए एक बहुत ही प्रमुख त्योहार माना जाता है और इसे हर साल बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसे भगवान श्री कृष्ण की जयंती के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए इसे जन्माष्टमी कहा जाता है।
जन्माष्टमी के अलावा भी इसे कई अन्य नामों से जाना जाता है। जैसे- कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्री कृष्ण जयंती, श्री जयंती आदि। श्री कृष्ण हिंदू धर्म के सबसे प्रिय भगवान थे। उन्होंने धरती पर मानव के रूप में जन्म लिया। जिससे वे मानव जीवन को बचा सके और मानव के दुखों को दूर करके सृष्टि का निर्माण कर सकें।
जन्माष्टमी का महत्व:
हम जानते हैं कि जैसे ही विवाहित जीवन शुरू होता हर दंपत्ति की इच्छा होती है कि उसके पूरे जीवन के लिए उसके पास एक अनूठा बच्चा हो। विवाहित सभी जोड़ों को यह आशीर्वाद मिलता है और जल्द ही उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है कभी-कभी कुछ कारणों से देरी भी होती है।
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पौराणिक समय के ऋषि मुनि के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जन्माष्टमी के दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस व्रत को पूरा करने वाले को व्रत का फल एक बच्चे के आशीर्वाद के रूप में मिलता है। जो महिलाएं अविवाहित होती है वह भविष्य में एक अच्छे बच्चे के लिए इस दिन का व्रत श्रद्धा से करती है।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म लेना धर्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। वे भगवान विष्णु के रूप में पृथ्वी पर आए थे और मानव जीवन को उनके आदर्शों के साथ दिशा दिखाने के लिए आये थे। उनके जीवन की गाथाएँ हमें मोक्ष और धर्म के महत्व को समझाती हैं।
जन्माष्टमी के त्योहार कैसे मनायें:
मंदिर यात्रा: जन्माष्टमी के दिन, लोग मंदिरों में जाकर भगवान कृष्ण की आराधना करते हैं। मंदिरों में धूप, दीप, फूल, और पुष्पांजलि के साथ भगवान का अनुसरण करते है।
रासलीला: कुछ स्थानों पर जन्माष्टमी के दिन रासलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण के लीलाएँ दिखाई जाती हैं। यह दृश्य देखकर लोग भगवान की भक्ति में मग्न हो जाते है ।
फल और मिठाई बाँटना: जन्माष्टमी के दिन हमलोग गरीबों को फल और मिठाई बाँटते हैं। इससे एक अपना सा माहौल बनता है और समाज में सहानुभूति की भावना बढ़ती है।
जन्माष्टमी का महत्व सामाजिक दृष्टि से भी बहुत अधिक है। यह पर्व समाज में एकता और प्यार की भावना को बढ़ावा देता है। लोग इस दिन परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताते हैं और अच्छे कर्मों की ओर बढ़ने का संकेत देते हैं।
दही-हांडी/ मटकी फोड़ प्रतियोगिता :
जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगहों पर दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन होता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल गोविंदा भाग लेते हैं और छाछ दही आदि से भरी इस मटकी को रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दिया जाता है और बाल गोविंदा इस मटकी को छोड़ने का प्रयास करते हैं। इस प्रतियोगिता को जीतने वाली टीम को उचित इनाम दिया जाता है।
मंदिरों की सौंदर्यता:
जिस दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता है। उस दिन मंदिरों को खास तौर पर वह भी रूप में सजाया जाता है। इस दिन सभी लोग 12:00 बजे तक व्रत रखते हैं। जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में झांकियां निकाली जाती है और भगवान श्री कृष्ण को झूले पर बुलाया जाता है।
जगह जगह पर इस दिन रासलीला का भी आयोजन किया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन हर बच्चे के घर के सामने पाल ने सजाए जाते हैं। जहां वे इस कॉलोनी में छोटे से कृष्ण को सुला देते हैं।
इस प्रकार कृष्ण के आसपास अन्य खिलौने रखकर उन्हें देखने के लिए आसपास से बहुत से लोग आते हैं। जिस वजह से वहां पर मेला से लग जाता है और झूले खिलौनों की बौछार हो जाती है क्योंकि जो भी व्यक्ति देखने आते हैं। वह खुशी से श्री कृष्ण भगवान के लिए झूले और खिलौने लेकर आते हैं।
जन्माष्टमी का सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व:
जन्माष्टमी के पर्व का हमारे जीवन में सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व की भावना को बढ़ावा देना है । यह हमें अच्छे कार्यों को करने के लिए प्रोत्साहित करता है और हमारे मानसिक और आध्यात्मिक विकास में मदद भी करता है।
जन्माष्टमी के दिन हम भगवान कृष्ण के आदर्शों के साथ जुड़कर उनकी भक्ति करते हैं। हम उनके जीवन से सीखते हैं कि कैसे हमें आध्यात्मिकता, ध्यान, और कामना एवं वासना से रहित कर्म के माध्यम से हम अच्छे मानव बन सकते हैं। उनकी गीता में दी गई उपदेशों ने हमें जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों को समझाया है और हमारी मानसिकता को सुधारने में मदद की है।
जन्माष्टमी के दिन हम अपने आप को भगवान कृष्ण के साथ जोड़ सकते हैं और अच्छे कर्मों की ओर बढ़ सकते हैं। इसके अलावा, इसे मानवता के लिए सेवा का मौका भी माना जाता है।
Frequently Asked Questions
उत्तर: कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर मनाया जाता है।
उत्तर: कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है।
उत्तर: भगवान श्री कृष्ण विष्णु के आठवें अवतार थे।
उत्तर: भगवान श्री कृष्ण वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान थे।
उत्तर: भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के कारागार में हुआ था।
उपसंहार (Conclusion of Janmashtami)
जन्माष्टमी एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो हमारे जीवन में आध्यात्मिक, सामाजिक एकता, और अच्छे कर्मों की भावना को बढ़ावा देता है। यह हमें भगवान कृष्ण के आदर्शों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करता है और हमें एक बेहतर और सद्गुणी जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। इसलिए, हमें जन्माष्टमी को खुशी और उत्साह के साथ मनाना चाहिए और इस अलोकिक पर्व का महत्व अच्छे कार्यों की ओर बढ़ने पर प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
दोस्तों मुझे आशा है कि आपको हमारा लेख जन्माष्टमी पर निबंध (Essay on Janmashtami festival) पढ़ कर अच्छा लगा होगा और आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होगें।
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जन्माष्टमी २०२३ निबंध , कृष्णा जन्माष्टमी पर 10 lines हिंदी में .
- Line 1: कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म का हिंदू त्योहार है।
- Line 2: जन्माष्टमी भारत में एक प्रमुख त्योहार है और इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
- Line 3: माना जाता है कि उनका जन्म भारत के मथुरा में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था।
- Line 4: कृष्ण हिंदू धर्म में एक लोकप्रिय देवता हैं और उनकी पूजा उनके चंचल और शरारती स्वभाव के साथ-साथ उनकी बुद्धि और करुणा के लिए की जाती है।
- Line 5: भगवान कृष्ण हिंदू धर्म के सर्वोच्च देवता विष्णु के आठवें अवतार हैं।
- Line 6: भक्त इस दिन उपवास करते हैं, भजन गाते हैं, मंदिरों को सजाते हैं और अपने आस पास के सभी जगहों को रोशन किया जाता है।
- Line 7: जन्माष्टमी पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शन भी आयोजित किए जाते हैं, जैसे नाटक, नृत्य और संगीत समारोह।
- Line 8: कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं के लिए अपने प्रिय देवता के जन्म का जश्न मनाने का समय है।
- Line 9: इस त्यौहार को गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कृष्ण का जन्म मथुरा के पास एक गाँव गोकुल में हुआ था।
- Line 10:जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को फूलों, दीपों और मेहराबों से सजाया जाता है। भक्त प्रार्थना करते हैं और कृष्ण के भजन गाते हैं।
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श्री कृष्णा जन्माष्टमी हिंदी Paragraph - Shri Krishna Janmashtami Paragraph in Hindi
श्री कृष्णा जन्माष्टमी पर 500 शब्दों में हिंदी निबंध - 500 words essay krishna janmashtami, परिचय (introduction), श्री कृष्ण जन्माष्टमी.
यह त्यौहार भाद्रपद महीने के अंधेरे पखवाड़े के आठवें दिन मनाया जाता है, जो अगस्त या सितंबर में पड़ता है। इस दिन, कृष्ण मंदिरों को फूलों, रोशनी और अन्य उत्सव की वस्तुओं से सजाया जाता है। भक्त उपवास करते हैं और कृष्ण से प्रार्थना करते हैं। कई भक्त उनके जन्म का जश्न मनाने के लिए पूरी रात जागते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि श्री कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था।
कृष्ण जन्माष्टमी मनाने के कई अलग-अलग तरीके हैं। कुछ लोग ऐसे ग्रंथ पढ़ते हैं जो कृष्ण के जीवन की कहानी बताते हैं, तो कई लोग उनकी प्रशंसा में कृष्ण भजन गाते हैं। भारत के कुछ हिस्सों में कृष्ण-लीला करने या कृष्ण के जन्म की कहानी को नाटक के माध्यम से प्रदर्शित करने की भी परंपरा है।
कृष्ण जन्माष्टमी पर एक लोकप्रिय परंपरा दही-हांडी या मटकी-फोर है, यानी दूध और दही से भरे मिट्टी के बर्तन को फोड़ना। यह बुराई के विनाश के प्रतीक के रूप में किया जाता है। यह भगवान के प्रति भक्त के प्रेम का भी एक कार्य है क्योंकि कृष्ण अपने शरारती बचपन के लिए जाने जाते हैं। एक अन्य परंपरा किसी गरीब व्यक्ति को खाना खिलाना या किसी आश्रय स्थल को भोजन दान करना है।
कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं के लिए अपने प्रिय देवता के जन्म का जश्न मनाने और उनमें अपनी आस्था की पुष्टि करने का समय है। यह परिवार और दोस्तों के इकट्ठा होने और एक-दूसरे की कंपनी का आनंद लेने का भी समय है।
श्री कृष्ण का महत्व
श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का महत्व.
कृष्ण जन्माष्टमी एक खुशी का त्योहार है जो दुनिया भर के हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। यह अपने प्रिय देवता के जन्म का जश्न मनाने, अपने विश्वास की पुष्टि करने और परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का समय है।
यह त्यौहार सभी भक्तों के लिए कृष्ण की शिक्षाओं पर विचार करने की शिक्षा देता है। कृष्ण एक बुद्धिमान शिक्षक हैं जिन्होंने अपने अनुयायियों को प्रेम, करुणा और दूसरों की सेवा का महत्व सिखाया। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और लोगों को अधिक पूर्ण और सार्थक जीवन जीने में मदद कर सकती हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
कृष्ण जन्माष्टमी हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला एक उत्साहपूर्ण त्योहार है। यह अवसर हम सभी को प्रेम, कड़ी मेहनत, सामाजिक संबंध, कर्म आदि के बारे में भगवान श्री कृष्ण की शिक्षाओं का पालन करने के लिए भी आमंत्रित करता है, जो सुखी एवं समृद्ध जीवन के लिए हमें ज्ञान प्रदान करते हैं।
How Kids Celebrate Janmashtami in Various Parts of India
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Speech on Janmashtami in hindi
- September 3, 2023 October 27, 2023
Speech on Janmashtami in hindi :->आपके उद्घाटन के बाद यहाँ एक जन्माष्टमी पर भाषण का उदाहरण है, जिसे आप अपने भाषण के लिए संदर्भ के रूप में उपयोग कर सकते हैं:
शीर्षक: दिव्य जन्म के जश्न – जन्माष्टमी
मान्यवर महोदय, प्रिय शिक्षक और प्रिय दोस्तों,
आज मैं आपके समक्ष एक त्योहार के बारे में बात करने के लिए खड़ा हूँ जो दुनियाभर के लाखों लोगों के दिलों में गहरा महत्व रखता है, जन्माष्टमी। जन्माष्टमी एक हिन्दू त्योहार है जो हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान कृष्ण के जन्म की जयंती का आयोजन करता है, जिन्हें हिन्दू धर्म के सबसे मान्य और प्रिय देवता में से एक माना जाता है।
भगवान कृष्ण के जन्म की कहानी केवल एक किस्सा नहीं है; यह गहरी प्रेरणा और आध्यात्मिक ज्ञान की एक जबरदस्त स्रोत है। हिन्दू ग्रंथों के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म भद्रपद मास के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन हुआ था। उनका जन्म स्थल मथुरा था, और वे राजा वसुदेव और रानी देवकी के पुत्र थे, जिन्हें रानी देवकी के भाई, दुर्जन राजा कंस के द्वारा कैद में रखा गया था।
भगवान कृष्ण के जन्म का महत्व सिर्फ़ उसके दिव्य परिस्थितियों में ही नहीं, बल्कि इस दिव्य बच्चे के जन्म के पीछे छुपी महान गुणों और आदर्शों में भी है। कृष्ण, अपनी मोहक मुस्कान और आवाज के साथ एक नटखट और खिलखिलाने भरे भगवान के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं। वे दिव्य प्रेमिका, ज्ञानी दार्शनिक, दयालु नेता और धर्म के रक्षक के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनके उपदेश, मुख्य रूप से भगवद गीता में मिलते हैं, ने आध्यात्मिकता, नैतिकता और दर्शनशास्त्र पर गहरा प्रभाव डाला है।
जन्माष्टमी को भारत के विभिन्न हिस्सों में और पूरी दुनिया में उत्सव के साथ मनाया जाता है। भक्तगण उपवास करते हैं, भक्ति गीत गाते हैं, कृष्ण की कथाओं को सुनते हैं, और रासलीला जैसे पारंपरिक नृत्य करते हैं। “दही हांडी” या “गोपालकाला” की एक अद्वितीय परंपरा होती है, जिसमें युवक जबरदस्ती तेल की मटकी को तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं, जिससे कृष्ण का मक्खन चुराने का प्रतीक बनाया जाता है।
यह त्योहार धार्मिक सीमाओं को पार करता है और सभी प्रांतों के लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह हमें नैतिकता, भक्ति की महत्वपूर्ण बातें, और त्यागने और अन्याय के खिलाफ उठने की आवश्यकता की महत्वपूर्ण सिख देता है।
कृष्ण का जीवन हमें बताता है कि कैसे कोई व्यक्ति नैतिकता और विशेष जिम्मेदारियों को समर्पित और प्यार से निभा सकता है। उनके उपदेश उद्योग करने के दोष लगाकर अनुभव के बिना अपने कर्तव्यों को बिना संलग्नता के करने के महत्व को दर्शाते हैं। यह संदेश अनुभव और पृष्ठभूमि के लोगों के सभी आयु और पृष्ठभूमियों के लिए संबंधित और लागू होता है।
संक्षेप में, जन्माष्टमी केवल एक ऐतिहासिक घटना का ही त्योहार नहीं है, बल्कि यह भगवान कृष्ण द्वारा दुनिया को दिये गए अबद्ध ज्ञान और प्रेम की याद दिलाने का एक समय का संदेश है। यह हमें अच्छाई, प्रेम, और नैतिकता को अपने जीवन में ग्रहण करने की सीख देता है, जैसे कृष्ण ने अपने अद्वितीय धर्मयात्रा के दौरान किया।
इस शुभ अवसर पर, आइए हम भगवान कृष्ण के जीवन और उनके उपदेशों से प्रेरणा लें और हमें प्यार, दया, और नैतिकता से भरपूर एक दुनिया की ओर कदम बढ़ाने की शक्ति प्राप्त हो। हम सभी अपने जीवन में ज्ञान के ‘हांडी’ को तोड़ने की ताक़त प्राप्त करें, जैसे कृष्ण ने किया। जय श्रीकृष्ण!
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जन्माष्टमी पर निबंध Essay on Janmashtami in Hindi
इस लेख में हमने जन्माष्टमी पर निबंध Essay on Janmashtami in Hindi लिखा है जिसमें जन्माष्टमी क्या है,कब मनाया जाता है, यह क्यों मनाया जाता है, कैसे बनाया जाता है ,साथ ही जन्माष्टमी का महत्व तथा पूजा पद्धति और जन्माष्टमी पर 10 लाइन को विस्तृत रूप से बताया गया है।
Table of Contents
प्रस्तावना (जन्माष्टमी पर निबंध Essay on Janmashtami in Hindi)
सनातन संस्कृति के प्रतिनिधित्व के रूप में भगवान विष्णु को देखा जाता है। भगवान विष्णु ही ब्रह्मांड के सर्वेसर्वा माने जाते हैं। भगवान राम से लेकर कृष्ण सभी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं।
भगवान विष्णु को संसार के पालनहार के रूप में पूजा जाता है। जन्माष्टमी को भगवान विष्णु के आराधक उनके कृष्ण अवतार को याद करते हैं।
सनातन संस्कृति में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सृष्टि के रचयिता पालनहार और विनाशक के रूप में जाना जाता है। मूल रूप से ब्रह्मा, विष्णु और महेश उस परमपिता परमात्मा के तीन कर्मों के नाम हैं जिन्हें देवता के रूप में पूजा जाता है।
हिंदू देवी देवताओं में श्रीकृष्ण को पूरी दुनिया में सबसे अधिक पूजा जाता है। श्री कृष्ण के ज्ञान श्री भगवत गीता को दुनिया के सभी धर्मों के लोग पढ़ते हैं और अपने सभी सवालों के जवाब पाते हैं यही कारण है कि पूरी दुनिया के लोगों में भगवान श्री कृष्ण की प्रसिद्धि ज्यादा है।
जन्माष्टमी क्या है? What is Janmashtami in Hindi?
भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन को जन्माष्टमी कहां जाता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहणी नक्षत्र में हुआ था इसलिए हर वर्ष इसे कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
जन्माष्टमी को हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। जिसे दुनिया भर में रहने वाले हिंदू अपनी अपनी श्रद्धा के अनुसार मनाते हैं।
जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है? Why is Janmashtami Celebrated?
द्वापर युग में जब आसुरी प्रवृत्तियों के लोग सज्जनों को सताने लगे और धर्म के विपरीत कर्म करने लगे और जब धरती पर कंस के द्वारा पाप की अधिकता होने लगी तब भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लिया और धरती पर से आसुरी प्रवृत्तियों का समूल नाश करने की शुरुआत की।
जन्माष्टमी को मनाए जाने के पीछे आध्यात्मिक, वैज्ञानिक तथा सामाजिक कारण भी है। आध्यात्मिक कारण के रूप में इस दिन की बड़ी महानता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन को ज्योतिष में बेहद प्रभावी दिन माना जाता है और इस दिन किए गए व्रत अनुष्ठान का फल कई गुना बढ़ जाता है।
वैज्ञानिक कारण के रूप में जन्माष्टमी को महाज्ञानी भगवान श्री कृष्ण के जीवन की शुरुआत के रूप में देखा जाता है।
आज श्रीमद् भागवत गीता पर वैज्ञानिकों द्वारा गहन रिसर्च किया जा रहा है ऐसा माना जाता है कि श्रीमद्भागवत गीता में हर प्रश्नों का सटीक जवाब होता है।
सामाजिक कारण के रूप में जन्माष्टमी यह जनसमूह को सदैव सत्य मार्ग पर चलने तथा हमेशा दया करुणा वह सहयोग की भावना जागृत रखने की सीख देता है।
और पढ़े : महाशिवरात्रि पर निबंध
जन्माष्टमी कब है? When is Janmashtami in Hindi
जन्माष्टमी हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आता है वर्ष के अगस्त या सितम्बर महीने में, श्री कृष्ण के जन्म दिवस के अवसर पर कृष्ण जन्माष्टमी, भारत समेत अन्य देशों में मनाया जाता है। इस वर्ष जन्माष्टमी 30 अगस्त दिन सोमवार को पड़ रहा है।
जन्माष्टमी का महत्व Importance of janmashtami in Hindi
सनातन संस्कृति में देवताओं और महापुरुषों की जयंती को बेहद पवित्र दिन माना जाता है और इसे एक पर्व के रूप में मनाया जाता है।
यह एक ओर मनुष्य को अभावों में विचलित न होने की सीख देता है तो दूसरी ओर बुराइयों के सामने अडिग खड़े रहने की सीख भी देता है।
हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए जन्माष्टमी का बहुत ही महत्व है क्योंकि वह इस दिन अपने आराध्य श्री कृष्ण के बाल लीलाओं तथा जीवन लीलाओं का आनंद लेते हैं साथ ही अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
जन्माष्टमी के सबसे बड़े महत्व के रूप में उन अनैतिकताओं को चुनौती दी जाती है और नास्तिकता को पर्याप्त सबूत मिलता है कि जब-जब धर्म की हानि होती है तब तक ईश्वर धरती पर जन्म लेते हैं।
जन्माष्टमी पर्व यह सनातन संस्कृति की महानता को भी दर्शाता है। क्योंकि सनातन संस्कृति में ही ऐसे महापुरुष और देवता हुए हैं जो जनसमूह पर बिना कोई दबाव बनाएं सत्य सनातन के मार्ग पर चलने का आग्रह करते हैं।
जन्माष्टमी हमें सिखाती है कि भले ही जीवन की शुरुआत कठिनाइयों में हुई हो लेकिन मनुष्य अपने पुरुषार्थ से सभी कठिनाइयों पर विजय पा सकता है।
भगवान श्री कृष्ण के जीवन में मुश्किलों का अंबार लगा रहा लेकिन उन्होंने हमेशा अपने पुरुषार्थ से मुश्किलों पर विजय पाया।
सनातन संस्कृति में भक्ति को सबसे कठिन और गूढ़ मार्ग कहा गया है। भक्ति यह प्रेम का सर्वोपरि और उत्कृष्ट भाग है। इसलिए जन्माष्टमी पर भक्तगण अपने भगवान की लीलाओं का रसास्वादन कर उनके प्रेम में डूब जाते हैं।
जन्माष्टमी के सामाजिक महत्व के रूप में आज हिंदू समाज की एकता को देखा जा सकता है। जन्माष्टमी के दिन मटकी फोड़ कार्यक्रमों में बिना किसी जाति या समुदाय के भेदभाव के लोग एक समूह बनाकर इन प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।
जन्माष्टमी की कहानी Story of Janmashtami in Hindi
द्वापर युग में कंस नामक एक पराक्रमी और क्रूर शासक हुआ जिसे देवताओं से बहुत से अधिक दिव्य आशीर्वाद प्राप्त था। उसने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कमजोर लोगों को सताने और अपने स्वार्थ की पूर्ति करने में किया।
कंस इतना ताकतवर था कि उसके सामने बड़े-बड़े चक्रवर्ती सम्राट भी थरथर कांपते थे। अभिमान वश कमजोर मनुष्यों को मसलते चले जाता था।
एक बार जब वह अपनी बहन देवकी का विवाह वासुदेव से संपन्न कराकर घर लौट रहा था तभी आकाशवाणी हुई की अगर तुमने अपनी पाप लीला बंद नहीं की तो देवकी की आठवीं संतान तुम्हारा वध कर देगी।
आकाशवाणी से घबराकर कंस देवकी और वासुदेव को कालकोठरी में डाल दिया और एक एक कर उनकी 7 संतानों की निर्मम हत्या कर दिया।
लेकिन भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद वसुदेव जी उन्हें राजा नंद के घर माता यशोदा की देखरेख में छोड़ आए ताकि किसी प्रकार कंस से उनकी रक्षा की जा सके।
भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यमुना जी से लेकर पंचमुखी नाग ने भी की थी। इन्हीं सभी लीलाओं के माध्यम से श्री कृष्ण जी के भक्तों कि मन में भक्ति का सरोवर उमड़ा हुआ रहता है।
अपने बाल लीलाओं में भगवान श्रीकृष्ण बहुत से दैत्यों का संहार किया और अपनी प्रजा की रक्षा की। लेकिन समय आने पर भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा जाकर कंस का वध किया और प्रजा को मुक्त किया।
भगवान श्री कृष्ण महाभारत में एक बार भी शस्त्र धारण नहीं किया लेकिन सत्य के ज्ञान से पूरी पापी सेना कौरव का विनाश कर दिया।
जन्माष्टमी की पूजा कैसे करें? How to do Janmashtami Pooja in Hindi
जन्माष्टमी की पूजा के लिए थोड़ी मात्रा में कुछ सामग्रियों की आवश्यकता होती है जिनमें चौकी, लाल वस्त्र, बाल गोपाल की मूर्ति, गंगाजल, मिट्टी का दीपक, घी, रूई की बत्ती, धूप, चंदन, रोली, अक्षत, तुलसी ,पंचामृत शामिल हैं।
लेकिन जन्माष्टमी के दिन बाल लीला के लिए दूध, दही, घी, शहद, मक्खन, मिश्री, मिष्ठान/नैवेद्य, फल, बाल गोपाल के लिए वस्त्र, श्रृंगार की सामग्री फूल और पालना इत्यादि की आवश्यकता होती है।
जन्माष्टमी की पूजा शुरू करने से पहले रात 11 बजे फिर से स्नान कर लें। उसके बाद घर के मंदिर में ऊपर बताई गई सभी सामग्री रख लें और पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं।
इसके बाद पालने को सजा लें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित कर पूजा प्रारंभ करें। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन षोडशोपचार पूजा की जाती है।
जन्माष्टमी की आरती (Janmashtami Aarti in Hindi)
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की आरती कुंजबिहारी की.. कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं गगन सों सुमन रासि बरसै बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की आरती कुंजबिहारी की.. जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा स्मरन ते होत मोह भंगा बसी शिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की आरती कुंजबिहारी की… चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद, टेर सुन दीन दुखारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की आरती कुंजबिहारी की. श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
जन्माष्टमी पर 10 वाक्य 10 Lines on Janmashtami in Hindi
- भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं।
- श्री कृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे।
- इस उत्सव पर ज्यादातर लोग पूरा दिन व्रत रह कर, पूजा के लिए, घरों में बाल कृष्ण की प्रतिमा पालने में रखते हैं।
- श्री कृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ।
- कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मथुरा में रासलीला का आयोजन किया जाता है।
- जन्माष्टमी के दिन मटकी फोड़ कार्यक्रमों में बिना किसी जाति या समुदाय के भेदभाव के लोग एक समूह बनाकर इन प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं।
- उत्सव के दिन विशेष प्रसाद वितरण तथा भव्य झांकी प्रदर्शन किया जाता है।
- इस अवसर पर भजन कीर्तन के साथ-साथ नाटक तथा नृत्य भी आयोजित किए जाते हैं।
- जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत का विधान है। जन्माष्टमी पर सभी 12 बजे तक व्रत रखते हैं।
- जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने जन्माष्टमी पर निबंध Essay on Janmashtami in Hindi पढ़ा आशा है यह लेख आपको सरल लगा हो अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें।
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Janmashtami Speech/Essay : जन्माष्टमी पर निबंध/स्पीच यहां से करें तैयार, देखें अलग-अलग तरह के फॉर्मेट
Janmashtami Speech in hindi, Janmashtami Essay : जन्माष्टमी (Janmashtami) पर अगर आपको स्कूल में कोई निबंध लिखना हो या भरी क्लास में स्पीच बोलना हो तो इसकी तैयारी और जानकारी जरूरी है. आपको बता दें कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2020 (sri krishna janmashtami 2020) मनाया जाना है. इस साल यह अष्टमी तिथि 11 और 12 अगस्त को मनायी जायेगी. ऐसे में आप विभीन्न निबंध और स्पीच का फॉर्मेट यहां से देख सकते हैं..
निबंध : दुनियाभर में मनाया जाता है श्रीकृष्ण के जन्मदिन
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है. दुनियाभर में इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. मुख्य रूप से यह पर्व भारत के उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. विदेशों में बसे भारत के लोग भी इसे पूरी आस्था व उल्लास के साथ मनाते हैं. आपको बता दें कि श्रीकृष्ण के कई रूप हैं और वे युगों-युगों से हमारी आस्था का केंद्र रहे हैं. उन्हें लोग यशोदा मैया के लाल के रूप में तो ब्रज के नटखट कान्हा व अन्य रूप में भी जानते हैं.
निबंध : क्यों मनाते हैं जन्माष्टमी
हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि को पैदा हुए थे. यह रक्षा बंधन के बाद आता है.ज्योतिष गणना के मुताबिक इस दिन चंद्रमा वृष राशि और सूर्य सिंह राशि में पहुंचा था. ऐसी मान्यत है कि इस दिन श्री कृष्ण के श्रद्धा पूर्वक जन्मदिवस मनाने से खुशियां घर में वास करती है. इस दौरान देवालायों में श्रीकृष्ण के झूले को सजाया जाता है. भक्त भगवान के लिए मंगल गान गाते हैं तथा उन्हें उनका प्रिय भोग लगाते हैं. आपको बता दें कि बाल कृष्ण को माखन मिश्री बहुत पसंद है. यही कारण है कि प्रसाद के रूप में भी इसी को बांटा जाता है.
निबंध : कहां जन्मे कृष्ण कहां हुई परवरिश
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिवस पूरी दुनिया में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है. आपको बता दें कि बाल कृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे. उनके मामा अर्थात मथुरा नगरी का राजा कंस बहुत अत्याचारी था. एसी मान्यता है कि उसी के अत्याचार को समाप्त करने के लिए देवकी पूत्र का जन्म हुआ. इससे पहले कंस ने देवकी के 7 संतानों का वध कर दिया था. कृष्ण भगवान विष्णु का रूप हैं. और उनकी परवरिश गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास हुई. तभी से ही उनके जन्मदीवस की खुशी में प्रतिवर्ष जन्माष्टमी त्योहार मनाया जाता है.
Posted By : Sumit Kumar Verma
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Janmashtami Essay : जन्माष्टमी पर हिन्दी में आदर्श निबंध
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जन्माष्टमी पर भाषण 2023-24 Krishna Janmashtami Speech in Hindi, English & Gujarati for students
Krishna Janmashtami 2023: भारत में कृष्णा जन्माष्टमी पर्व का बहुत महत्व है| यह हिन्दू धर्म का त्यौहार है| यह पर्व भगवान् कृष्ण के जन्मोत्सव पर मनाया जाता है| उन्होंने धरती पर मानव रूप में जन्म लिया था वे मानव जीवन को बचाने के लिए और मानव के दुखों को दूर कर सकते हैं। इस पर्व पर बहुत से हिन्दू धर्म के अनुयाई व्रत रखते है ताकि वे भगवान् कृष्ण को प्रसन्न कर सके| इसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे – कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्री कृष्ण जयंती, श्री कृष्णा जयंती आदि।
आज के इस पोस्ट में हम आपको श्री कृष्ण पर निबंध, जन्माष्टमी इन हिंदी, जन्माष्टमी का त्योहार, जन्माष्टमी स्पीच, जन्माष्टमी का महत्व, जन्माष्टमी निबंध मराठी, आदि की जानकारी आदि की जानकारी इन मराठी, हिंदी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के निबंध प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये भाषण खासकर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है
Janmashtami Speech in Hindi
सभी जातियां अपने महापुरुषों का जन्म दिवस बड़ी धूमधाम से मनाती आई हैं । हिन्दुओं के महापुरुष भगवान् श्रीकृष्ण का जन्म दिवस भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है । कृष्ण के भक्त उनका जन्म दिवस सहस्त्रों वर्षों से मनाते आ रहे हैं । वर्तमान समय में इनकी महिमा और बढ़ी है । भारतीय ही नहीं, विदेशी भी कृष्णभक्त हैं और विदेशों में कृष्णदेवालय स्थापित किए जा रहे हैं । दिन-प्रतिदिन उनके भक्तों की संख्या बढ़ रही है । आज से लगभग पाँच सहस्त्र वर्ष पूर्व कृष्ण का जन्म हुआ था । मथुरा में कंस नामक राजा राज्य करता था । उसकी प्राणों से प्रिय एक बहन देवकी थी । देवकी का विवाह कंस के मित्र वसुदेव के साथ हुआ । अपनी बहन का रथ हांककर वह स्वयं अपनी बहन को ससुराल छोड़ने जा रहा था । तभी अकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र उसका काल होगा । इतना सुनते ही उसने रथ को वापिस मोड़ लिया तथा देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया । एक-एक करके उसने देवकी की सात सन्तानों की हत्या कर डाली । धरती को कंस जैसे पापी के पापों के भार से मुक्त करने के लिए श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की गहन अन्धेरी रात में हुआ । कारागार के द्वार स्वत: खुल गए । वसुदेव ने मौके का फायदा उठाया और उसे अपने मित्र नन्द के यहाँ छोड़ आए । कंस को किसी तरह उसके जीवित होने का संदेश मिल गया । उसने श्रीकृष्ण को मारने के अनेक असफल प्रयास किए और स्वयं काल का ग्रास बन गया । बाद में श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता को मुक्त कराया । जन्माष्टमी के दिन प्रात: काल लोग अपने घरों को साफ करके मन्दिरों में धूप और दीये जलाते हैं । इस दिन लोग उपवास भी रखते हैं । मन्दिरों में सुबह से ही कीर्तन, पूजा पाठ, यज्ञ, वेदपाठ, कृष्ण लीला आदि प्रारम्भ होते हैं । जो अर्द्धरात्रि तक चलते हैं । ठीक 12 बजे चन्द्रमा के दर्शन साथ ही मन्दिर शंख और घड़ियाल की ध्वनि से गूंज उठता हैं, आरती के बाद लोगों में प्रसाद बांटा जाता है । लोग उस प्रसाद को खाकर अपना व्रत तोड़तें है और अपने घर आकर भोजन इत्यादि करते हैं । जन्माष्टमी पर मन्दिर चार-पांच दिन पहले से ही सजने प्रारम्भ हो जाते हैं । इस दिन मन्दिरों की शोभा अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच जाती है । बिजली से जलने वाले रंगीन बल्बों से मन्दिरों को सजाया जाता है । जगह-जगह पर झाकियां निकलती हैं जो गली, मोहल्लों और दुकानों से होती हुई मंदिरों तक पहुँचती हैं । मन्दिरों में देवकी-वसुदेव-कारागार कृष्ण हिण्डोला विशेष आकर्षण के केन्द्र होते हैं । सभी भक्तगण हिण्डोले में रखी कृष्ण प्रतिमा को झुलाकर जाते हैं । श्रीकृष्ण के जन्म-स्थल मथुरा और वृन्दावन में मन्दिरों की शोभा अद्वितीय होती है । भक्तगणों का सुबह से तांता लगा रहता है । जो अर्धरात्रि तक थामे नहीं थमता । इस दिन समाज सेवक भी मन्दिरों में आकर कार्य में हाथ बंटाते हैं । इस दिन मन्दिरों में इतनी भीड़ हो जाती हैं कि लोगों को पंक्तियों में खड़े होकर भगवान के दर्शन करने पड़ते हैं । सुरक्षा की दृष्टि से मन्दिर के बाहर पुलिस के कुछ जवान तैनात रहते हैं । श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व में उनके गुण थे, जिसके कारण वह हिन्दुओं के महानायक बने-उन्होंने गरीब मित्र सुदामा से मित्रता निभाई, दुराचारी शिशुपाल का वध किया, पाण्डुपुत्र युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में आने वाले अतिथियों के पैर धोए और जूठी पत्तलें उठाईं, महाभारत के युद्ध में अपने स्वजनों को देखकर विमुख अर्जुन को आत्मा की अमरता का संदेश दिया, जो हिन्दुओं का धार्मिक ग्रंथ ‘श्रीमद्भगवतगीता’ बना । यही ग्रंथ आज दार्शनिक परम्परा की आधारशिला है । उन्हीं श्रीकृष्ण की प्रशंसा में ‘भगवत् पुराण’ अनेक नाटक और लोकगीत लिखे गए जो आज भी मन्दिरों में गाये जाते हैं । श्रीकृष्ण का चरित्र हमें लौकिक और आध्यात्मिक शिक्षा देता है । गीता में उन्होंने स्वयं कहा है कि व्यक्ति को मात्र कर्म करना चाहिए फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए । ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ निष्काम कर्म व्यक्ति को कर्मठ बनाता है । फल प्राप्ति की भावना से उठकर वह देवत्व को प्राप्त कर देवमय ही हो जाता है ।
Speech on Janmashtami in Hindi
जन्माष्टमी 2023: कृष्णा जन्मणाष्टमी एक धार्मिक पर्व है जो की हर साल आता है| इस वर्ष यह पर्व 7 सितम्बर को सोमवार के दिन है| इस दिन पूरे भारत के हिन्दू धर्म के अनुयाई कृष्ण की मूर्ती पर अन्य प्रकार के मिष्ठान का भोग लगाते है| आइये अब हम आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भाषण, जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में , krishna janmashtami speech, janmashtami speech for students in hindi, shri krishna janmashtami speech in hindi, जन्माष्टमी पर स्पीच, जन्माष्टमी पर कविता , janmashtami speech in school, Janmashtami Nibandh in Gujarati , speech on janmashtami in school, कृष्ण जन्माष्टमी फोटो , short speech on janmashtami in english, Janmashtami Quotes in Hindi , स्पीच व जन्माष्टमी, Krishna Janmashtami Whatsapp Status , स्पीच ओं जन्माष्टमी इन स्कूल, स्पीच ों जन्माष्टमी, जन्माष्टमी स्पीच इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स, आदि की जानकारी किसी भी भाषा जैसे Hindi, हिंदी फॉण्ट, मराठी, गुजराती, Urdu, उर्दू, English, sanskrit, Tamil, Telugu, Marathi, Punjabi, Gujarati, Malayalam, Nepali, Kannada के Language Font में साल 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 का full collection जिसे आप अपने अध्यापक, मैडम, mam, सर, बॉस, माता, पिता, आई, बाबा, sir, madam, teachers, boss, principal, parents, master, relative, friends & family whatsapp, facebook (fb) व instagram पर share कर सकते हैं हिंदी में 100 words, 150 words, 200 words, 400 words जिसे आप pdf download भी कर सकते हैं|साथ ही आप Anchoring Script for Janmashtami Celebration in Hindi भी देख सकते हैं| आप सभी को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं
कृष्णा जन्माष्टमी हिंदू धर्म के लोगों द्वारा हर साल मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान कृष्ण की जयंती या जन्म तिथि के रूप में मनाया जाता है भगवान कृष्ण हिंदू धर्म के भगवान हैं, जिन्होंने पृथ्वी पर एक मानव के रूप में जन्म लिया था ताकि वह मानव जीवन की रक्षा कर सकें और अपने भक्तों के दुख दूर कर सके। ऐसा माना जाता है कि कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे। भगवान कृष्ण को गोविंद, बालगोपाल, कान्हा, गोपाल और लगभग 108 नामों से जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण को प्राचीन समय से हिंदू धर्म के लोगों द्वारा उनकी विभिन्न भूमिकाओं और शिक्षाओं (जैसे भगवद गीता) के लिए पूजा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी (8 वें दिन) को कृष्ण पक्ष में श्रावण महीने के अंधेरी आधी रात में हुआ था। भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों के लिए इस धरती पर जन्म लिया और शिक्षक, संरक्षक, दार्शनिक, भगवान, प्रेमी, के रूप विभिन्न भूमिकाएं निभाईं। हिंदू लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और विभिन्न प्रकार के कृष्ण के रुपों की पूजा करते हैं। उनके हाथों एक बांसुरी और सिर पर एक मोर का पंख रहता है। कृष्ण अपनी रासलीलाओं और अन्य गतिविधियों के लिए अपने मानव जन्म के दौरान बहुत प्रसिद्ध हैं। भारत के साथ-साथ कई एनी देशों में भी हर साल अगस्त या सितंबर के माह में बड़े उत्साह, तैयारी और खुशी के साथ जन्माष्टमी मनाते हैं। पूर्ण भक्ति, आनन्द और समर्पण के साथ लोग जन्माष्टमी (जिसे सटम आथम, गोकुलाष्टमी, श्री कृष्ण जयंती आदि कहते हैं) का जश्न मनाते हैं। यह भद्रप्रद माह में आठवें दिन प्रतिवर्ष मनाया जाता है। लोग व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं, भक्ति गीत गाते हैं, और भगवान कृष्ण के भक्ति में भव्य उत्सव के लिए दहीहंडी, रास लीला और अन्य समाहरोह का आयोजन करते हैं। इस वर्ष भी सभी वर्षों की तरह पूरे भारत के साथ-साथ ही विदेशों में भी कृष्णा जन्माष्टमी (भगवान कृष्ण की जन्मगांठ) को लोग हर्ष और उल्लास के साथ मनाएंगे। जैसे ही विवाहित जीवन शुरू होता है, हर दंपति चाहता है कि सारे जीवन के लिए उनका एक अनूठा बच्चा हो, हालांकि, सभी जोड़े इस आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं, किसी को जल्दी हो जाता है और किसी को प्राकृतिक कारणों के कारण बाद में होता है। मातृत्व के विशेष उपहार के लिए सभी विवाहित महिलाएं कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखती है। यह माना जाता है जो इस दिन पूर्ण विश्वास के साथ व्रत पूजा करते हैं, वास्तव में एक शिशु का आशीर्वाद उन्हें जल्द ही प्राप्त होता हैं। कुछ अविवाहित महिलायें भी भविष्य में एक अच्छा वर और बच्चा पाने के लिए इस दिन उपवास रखतीं हैं। पति और पत्नी दोनों द्वारा उपवास और पूर्ण भक्ति के साथ पूजा अधिक प्रभावकारी होता है। लोग सूर्योदय से पहले सुबह उठते हैं, एक अनुष्ठान स्नान करते हैं, नए और साफ-सुथरे कपड़े पहनकर तैयार होते हैं और ईष्ट देव के सामने पूर्ण विश्वास और भक्ति के साथ पूजा करते हैं। वे पूजा करने के लिए भगवान कृष्ण के मंदिर में जाते हैं और प्रसाद, धूप, बत्ती घी दीया, अक्षत, कुछ तुलसी के पत्ते, फूल, भोग और चंदन चढ़ाते हैं। वे भक्ति गीतों और संतान गोपाल मंत्र गाते हैं। अंत में, वे भगवान कृष्ण की मूर्ति की आरती कपूर या घी दीया से करते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं। लोग अंधेरी आधी रात से भगवान के जन्म समय तक पूरे दिन के लिए उपवास रखते हैं। कुछ लोग जन्म और पूजा के बाद अपना उपवास तोड़ते हैं लेकिन कुछ लोग सूर्योदय के बाद सुबह में अपना उपवास तोड़ते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म के बाद भक्ति और पारंपरिक गीत और प्रार्थनाएं गाते हैं। राजा कंस के अन्याय से लोगों को रोकने के लिए भगवान कृष्ण ने द्वापार युग में जन्म लिया था। ऐसा माना जाता है कि अगर हम पूरी भक्ति, समर्पण, और विश्वास से प्रार्थना करते हैं तो वो हमारी प्रार्थना ज़रूर सुनते हैं। वह हमारे सभी पापों और दुखों को भी मिटा देते हैंऔर हमेशा मानवता की रक्षा करते हैं।
Speech on Krishna Janmashtami
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि – जन्माष्टमी का पावन पर्व योगीराज श्रीकृष्ण के जन्म देसी महीने की भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है । श्रीकृष्ण मथुरा राज्य के सामंत वासुदेव- देवकी की आठवीं संतान थे । एक आकाशवाणी सुनकर कि वासुदेव- देवकी के गर्भ से जन्म लेने वाला बालक ही अत्याचारी और नृशंस राजकुमार कंस की मृत्यु का कारण बनेगा, भयभीत कंस ने उन्हें काल- कोठरी में बंद कर दिया । वहां जन्म लेने वाली देवकी की सात संतानों को तो कंस ने मार दिया, लेकिन आठवीं संतान को अपने शुभचिंतकों की सहायता से वासुदेव ने अपने परम मित्र नंद के पास पहुंचा दिया । वहीं नंद, यशोदा की गोद में पला-बढ़ा एवं बाद में मथुरा पहुंच कर कंस का वध करके अपने माता-पिता एवं नाना उग्रसेन को कारागार से मुक्त करवाया । जन्माष्टमी का पवित्र त्योहार इन्हीं की पवित्र स्मृति में,इनके किए प्रतिष्ठित कार्यों आदि के प्रति श्रद्धांजलि समर्पित करने के लिए पूरे भारतवर्ष में हिंदू समाज में मनाया जाता है । त्योहार मनाने की विधि – सनातन धर्म को मानने वाले लोग इस दिन श्रद्धा एवं प्रेम से व्रत रखते हैं । घर में साफ-सफाई करके धूप-दीप से सजाते हैं । गांव में लोग कुछ दिन पहले से ही पकवान बनाने प्रारंभ कर देते हैं । मंदिरों को खूब सजाया जाता है । मंदिरों में सारा दिन भजन कीर्तन होता रहता है । भिन्न-भिन्न प्रकार की झांकियां दिखाई जाती हैं । अर्धरात्रि पर चंद्रमा के दर्शन करके सनातनी लोग अपना व्रत समाप्त करते हैं । दूध, फलाहार एवं मिष्ठान लेते हैं । जन-जीवन में महत्ता – अत्याचारी कंस से प्रजा की रक्षा करने वाले श्रीकृष्ण तपस्वी, मनस्वी, योगी, दार्शनिक, महाराजा, सेनापति एवं कूटनीतिज्ञ थे । उन्होंने पापियों का नाश करके धर्म की स्थापना की थी । इस महापुरुष के जन्मदिन का गौरव जन्माष्टमी को प्राप्त है । भारत में इस त्योहार का अत्यधिक महत्त्व है । झांकियों का प्रदर्शन – गांवों तथा नगरों में अनेक स्थानों पर झूलों एवं झांकियों का प्रदर्शन किया जाता है जिन्हें देखने मंदिरों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं । कई स्थानों पर बाजारों में भी झांकियां निकाली जाती हैं । स्कूलों में भी जन्माष्टमी का महत्त्व बच्चों को बताने के लिए कार्यक्रम किया जाता है । मंदिरों में गीता का अखंड पाठ किया जाता है । देवालयों की शोभा विशेषकर मथुरा एवं वृदांवन में देखने योग्य होती है । सांस्कृतिक दृष्टि से श्रीकृष्ण ने अपने श्रीमुख से गीता का प्रवचन दिया था, उसका पाठ किया करते हैं । इस प्रकार जन्माष्टमी का उत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत मे समय पाकर ऐसे-ऐसे महापुरुषो, कर्मयोगियों एव नीतिवानों ने जन्म लिया कि अपनी अनवरत कर्मठता, चारित्रिक दृढता, रंजक और रक्षक कार्यो के बल पर उन्होंने अवतार का-सा महत्त्व प्राप्त कर लिया । दूसरे कुछ लोगों का तो प्रकाट्य (अवतार) ही अन्याय-अत्याचार का नाश कर अन्यायियों-अत्याचारियो से जीवन-समाज के सत् तत्त्वों और सज्जनों की रक्षा करना था । भगवान श्रीकृष्ण एक इसी तरह के अवतार माने गए हैं । उन्हें भगवान् विष्णु के चौबीस अवतारों मे से एक सोलह-कला-सम्पूर्ण अवतार स्वीकार किया गया है ‘जन्माष्टमी’ नामक हिन्दू पर्व का सम्बन्ध इन्हीं भगवान श्रीकृष्ण के जन्म अर्थात् अवतार के साथ है । उन्ही के प्रकट होने के दिन को हर वर्ष बडी धूमधाम से, उत्सव-उत्साह के साथ मनाया जाता है । जन्माष्टमी का सम्बन्ध समग्र हिन्दू समाज के साथ है । हिन्दू समाज मे, क्योकि तैंतीस करोड देवी देवताओ और चौबीस अवतारी को मान्यता प्राप्त है, अत: वे वेष्णवजन इस त्योहार को अत्यन्त हार्दिकता एवं धूमधाम से मनाया करते हैं कि जो अपने-आप को कृष्णभक्ति शाखा या कृष्णोपासना से सम्बद्ध मानते हैं । श्रीकृष्ण मथुरा के राज्य के अन्तर्गत आने वाले प्रमुख सामन्त वसुदेव-देवकी के आठवे बेटे थे । एक आकाशवाणी सुनकर कि वसुदेव-देवकी के गर्भ से जन्म लेने वाला बालक ही अत्याचारी और नृशंस राजकुमार कस की मृत्यु का कारण बनेगा, भयभीत कस ने अपनी बहन देवकी और बहनोई वसुदेव को जेल की काल कोठरी में बन्द कर दिया था । वहाँ जन्म लेने वाली सात सन्तानों का तो कंस ने वध कर डाला; पर शुभचिन्तक सामन्ती की सहायता से वसुदेव ने अपनी आठवीं सन्तान को ब्रजभूमि में स्थित नदग्राम में अपने परम मित्र नंद के पास पहुँचा दिया । वहीं नंद-यशोदा की गोद में पल-पुसकर श्रीकृष्ण बडे हुए और बाद मे मथुरा पहुँच कर कंस का वध करके अपने माता-पिता और नाना उग्रसेन की कारागार से मुक्ति का कारण भी बने । बाद में भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के सूत्रधार बन कर अपने सखा अर्जुन को ‘अमिद्भगवदगीता’ के कर्मयोग का ज्ञानोपदेश दिया, यह एक अलग कहानी है । इन भगवान श्रीकृह्या का जन्म देशी महीनें भाद्रपद के कृष्ण क्स की अष्टमी तिथि की आधी रात के समय हुआ था ।
Janmashtami Speech in English
Janmashtami is a Hindu festival celebrating the birth of Krishna. Janmashtami is celebrated as the birthday of Lord Sri Krishna. Krishna Janmashtami is also known as Sri Krishna Jayanti, Krishnashtami, Gokulashtami and sometimes simply as Janmashtami. Hindus observed this festival to celebrate the birthday of their beloved God Sri Krishna. The birth of Lord Krishna marks the end of inhumanity and cruelty over mankind. Krishna is a symbol of righteousness. Sri Krishna was born at mid-night of this day. Krishna Janmashtami is observed on the Ashtamitithi, the eighth day of the dark half or Krishna Paksha of the month of Shraavana. He is considered as an avatar of the God Vishnu. The day is celebrated with great zeal and devotion. The Lord Krishna devotees observe fast for the entire day and night, worshipping him. Temples of Sri Krishna are beautifully decorated. Thousands of Hindu men and women wear new clothes and gather in these temples to celebrate the birthday of their beloved God. The priest chants mantras and worship Lord Sri Krishna. Some temples also conduct readings of the Hindu religious scripture Bhagavad Gita. Religious plays or Raslilas are performed to recreate events from the life of Lord Krishna. Janmashtami is one such festival that is celebrated equally in North and South India. Different parts of the country celebrate the festival differently. Janmaashtami or Gokulashtami, popularly known in Mumbai and Pune as DahiHandi, is celebrated as an event which involves making a human pyramid and breaking an earthen pot (handi) filled with buttermilk (dahi), which is tied at a convenient height. The town of Dwarka in Gujarat which is Krishna’s own land witnesses hordes of visitors gathering here for celebrations.Places in Uttar Pradesh that are associated with Krishna’s childhood, such as Mathura, Gokul and Vrindavan, attract visitors from all over India, who go there to participate in the festival celebrations. Krishnashtami brings much joy and feeling of unity.The festival is celebrated with zeal and rejoicings all over the country and in various other parts of the world wherever there exist Hindu societies.
Janmashtami Par Bhashan
कहा जाता है कि जब कृष्ण का जन्म हुआ था तब कारागार के सभी पहरेदार सो गए थे देवकी-वासुदेव की बेड़ियाँ स्वतः ही खुल गई थीं और कारागार के दरवाजे स्वतः ही खुल गये थे। फिर आकाशवाणी ने वासुदेव को बताया कि वे अभी कृष्ण को गोकुल पहँचा दें। तत्पश्चात् कृष्ण के पिता वासुदेव कृष्ण को सूप में सुलाकर वर्षा ऋतु में उफनती हुई नदी पार कर के गोकुल ले गए और नंद के यहाँ छोड़ आए, सभी लोग इसे कृष्ण का ही चमत्कार मानते हैं. कंस ने तो कृष्ण के सात भाइयों को पैदा होते ही मार दिया था। फिर कृष्ण ने बचपन से युवावस्था तक कंस सहित अनेक राक्षसों का वध किया और अपने भक्तों का उद्धार किया। यही कारण है कि लोग उन्हें ईश्वर का अवतार मानकर उनकी पूजा-अर्चना एवं भक्ति करते हैं. मथुरा और वृन्दावन जहाँ भगवान् श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया था वहां की जन्माष्टमी पुरे विश्व में बहुत प्रसिद्ध है| कृष्ण का जन्म रात के 12 बजे उनके मामा कंस के कारागार में हुआ था. यह त्योहार कभी अगस्त और कभी सितम्बर में पड़ता है। कृष्ण जन्माष्टमी से एक दिन पहले सप्तमी को लोग व्रत रखते है और आधी रात को 12 बजे कृष्ण का जन्म हो जाने के बाद घंटे-घड़ियाल बजाकर श्री कृष्ण की आरती उतारते हैं. तत्पश्चात् सभी लोग अपने आस-पड़ोस और मित्र-रिश्तेदारों को ईश्वर का प्रसाद वितरण करके खुशी प्रकट करते हैं। फिर वे स्वयं खाना खाते है, इस प्रकार पूरे दिन व्रत रखकर यह त्यौहार मनाया जाता है. वही बच्चो के लिए भी जन्माष्टमी किसी बड़े उत्सव से कम नहीं होता| श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन बच्चे अपने घरों के सामने हिंडोला सजाते हैं, वे हिंडोले (पालने) में छोटे से कृष्ण को सुला देते हैं। कंस का कारागार बना देते हैं. उसमें देवकी और वासुदेव को बिठा देते हैं कारागार के बाहर सिपाही तैनात कर देते हैं, इसी प्रकार उसके आसपास अन्य खिलौने रख देते हैं| इन्हें देखने के लिए आस-पास के बहुत लोग आते हैं| वहाँ एक तरह का मेला-सा लग जाता है. जहाँ स्थान अधिक होता है वहाँ झूले और खिलौने बेचने वाले भी आ जाते हैं, बच्चे वहाँ हिंडोला देखने के साथ-साथ झूला झूलते हैं और खिलौने वगैरह भी खरीदते हैं| विशेषकर जन्माष्टमी के दिन बच्चे बहुत उत्साहित होते हैं क्योंकि कई प्रकार के खिलौने खरीदकर उन्हें हिंजोला सजाना होता है. कई स्थान पर कृष्ण-लीला भी होती है। इसमें मथुरा का जन्मभूमि मंदिर और बांके बिहारी का मंदिर मुख्य है. वही भारत के कुछ जगहों पर जन्माष्टमी के दिन अनेक जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, दही-हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल-गोविंदा भाग लेते हैं| छाछ-दही आदि से भरी एक मटकी रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दी जाती है और बाल-गोविंदाओं द्वारा मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है. दही-हांडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिए जाते हैं| उपसंहार :- मै अंत में यह ज़रूर बोलना चाहूँगा कि जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का विधान बहुत पहले से ही चला आ रहा है, आपको अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलाहार करना चाहिए| कोई भी भगवान हमें भूखा रहने के लिए नहीं कहता इसलिए अपनी श्रद्धा अनुसार ही आप व्रत करें. पूरे दिन व्रत में कुछ भी न खाने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसीलिए हमें श्रीकृष्ण के संदेशों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए.
Janmashtami Speech in Gujarati
જન્માષ્ટમી કૃષ્ણના જન્મની ઉજવણીનો એક હિન્દુ તહેવાર છે. જન્માષ્ટમીને ભગવાન શ્રીકૃષ્ણના જન્મદિવસ તરીકે ઉજવવામાં આવે છે. કૃષ્ણ જન્માષ્ટમીને શ્રી કૃષ્ણ જયંતી, ક્રિષ્નાશ્ટીમી, ગોકૌલાશત્મી અને કેટલીક વખત માત્ર જન્માષ્ટમી તરીકે ઓળખવામાં આવે છે. હિંદુઓએ તેમના પ્રિય ભગવાન શ્રી કૃષ્ણના જન્મદિવસની ઉજવણી માટે આ તહેવારનું નિરીક્ષણ કર્યું. ભગવાન કૃષ્ણનું જન્મ માનવજાત પર અમાનુષી અને ક્રૂરતાનો અંત છે. કૃષ્ણ સદ્ગુણોનું પ્રતીક છે. શ્રીકૃષ્ણ આ દિવસે મધ્યરાત્રિમાં થયો હતો. કૃષ્ણ જન્માષ્ટમી અષ્ટમિતિધિ, શ્રાવાના મહિનાના આઠમા દિવસ અથવા કૃષ્ણ પક્ષના આઠમી દિવસે જોવા મળે છે. તેમને ભગવાન વિષ્ણુના અવતાર માનવામાં આવે છે. આ દિવસે મહાન ઉત્સાહ અને ભક્તિ સાથે ઉજવવામાં આવે છે. ભગવાન કૃષ્ણ ભક્તો આખો દહાડો ઉપવાસ કરે છે, તેમની પૂજા કરે છે. શ્રી કૃષ્ણના મંદિરો સુંદર શણગારવામાં આવે છે. હજારો હિન્દુ પુરુષો અને સ્ત્રીઓ નવાં વસ્ત્રો પહેરે છે અને તેમના પ્યારું ભગવાનનો જન્મદિવસ ઉજવવા માટે આ મંદિરોમાં ભેગા થાય છે. પાદરી મંત્રના મંત્રી અને ભગવાન શ્રીકૃષ્ણની ઉપાસના કરે છે. કેટલાક મંદિરો હિન્દુ ધાર્મિક ગ્રંથ ભગવદ ગીતાના વાંચન પણ કરે છે. ભગવાન શ્રીકૃષ્ણના જીવનમાંથી ઘટનાઓને ફરીથી બનાવવા માટે ધાર્મિક નાટકો અથવા રાસ્લિલાસ કરવામાં આવે છે. જન્માષ્ટમી એક એવો તહેવાર છે જે ઉત્તર અને દક્ષિણ ભારતમાં સમાન રીતે ઉજવવામાં આવે છે. દેશના જુદા જુદા ભાગો તહેવારને અલગ રીતે ઉજવણી કરે છે. મુંબઈ અને પૂણેમાં લોકપ્રિય રીતે જાણીતા જનમાષ્ટમી અથવા ગોકુલશત્મી, એક ઘટના તરીકે ઉજવવામાં આવે છે જેમાં એક માનવ પિરામિડ બનાવવામાં આવે છે અને છાશ (દહીં) સાથે ભરેલી માટીના વાસણ (હાથી) ભંગ કરે છે, જે અનુકૂળ ઊંચાઈથી બંધાયેલ છે. ગુજરાતમાં દ્વારકાના નગર જે કૃષ્ણની પોતાની ભૂમિ સાધના માટે ઉજવણી કરનારા મુલાકાતીઓનો ચુકાદો ધરાવે છે. ઉત્તર પ્રદેશમાં આવેલા સ્થળો જેમ કે મથુરા, ગોકુલ અને વૃંદાવન જેવા કૃષ્ણના બાળપણ સાથે સંકળાયેલા છે, જે સમગ્ર ભારતમાં મુલાકાતીઓને આકર્ષે છે. તહેવાર ઉજવણીમાં ભાગ લેવો. કૃષ્ણશ્ત્મતી એકતાના ખુબ આનંદ અને લાગણી લાવે છે. આ તહેવાર દેશભરમાં અને વિશ્વના અન્ય ભાગોમાં જ્યાં હિન્દુ સમાજ અસ્તિત્વમાં હોય ત્યાં ઉત્સાહ અને આનંદ સાથે ઉજવણી કરવામાં આવે છે.
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर 10 वाक्य (10 Lines on Shree Krishna Janmashtami in Hindi)
भगवान विष्णु ने धरती पर श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया जिस दिन को हम श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। लोक कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म कंस का वध करने के लिए हुआ था, जो कृष्ण के मामा थे। श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में कंस के बंदीगृह में हुआ था और उन्हें बचाने के लिए वासुदेव ने इन्हें गोकुल में अपने चचेरे भाई नन्द बाबा के पास छोड़ आये। माता यशोदा ने बड़े ही लाड व प्यार से श्री कृष्ण का पालन पोषण किया।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर 10 लाइन (Ten Lines on Shree Krishna Janmashtami in Hindi)
कंस के वध के पश्चात् भी भगवान कृष्ण ने कई चमत्कारी कर्म दिखाए। श्री कृष्ण राधा के साथ मिलकर सच्चे प्यार और स्नेह का संदेश दिये। महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण पांडवों का मार्गदर्शन किये। आईये दोस्तों निचे दिए हुए 10 लाइन्स के सेट से हम श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बारे में जानते हैं।
Krishna Janmashtami par 10 Vakya – Set 1
1) हिन्दू कैलेंडर के भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष के अष्टमी के दिन यह त्योहार मनाते हैं।
2) भगवान श्रीकृष्ण के धरती पर जन्म लेने के दिन के उपलक्ष्य में जन्माष्टमी मनाते हैं।
3) भगवान श्रीकृष्ण, विष्णु जी के 8वें अवतार के रूप में धरती पर जन्म लिए।
4) श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व प्रमुख हिन्दू त्यौहारों में से एक है।
5) इस दिन भगवान कृष्ण के सभी मंदिरों को फूलों और मालाओं से सज़ा दिया जाता है।
6) इस दिन लोग घरों व मंदिरों में श्रीकृष्ण के अलौकिक घटनाओं की झांकियां बनाते हैं।
7) “दही-हांडी” इस पर्व का एक मुख्य हिस्सा है जो भारत में प्रचलित है।
8) इस दिन लोग एक साथ इकट्ठे होते है और भजन-कीर्तन करते हैं।
9) विशेष स्थानों पर मुख्य रूप से रासलीला नृत्य का मनमोहक आयोजन किया जाता है।
10) श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मथुरा व वृन्दावन में बड़े ही भव्य तरीके से मनाया जाता है।
Krishna Janmashtami par 10 Vakya – 2
1) कृष्ण जन्माष्टमी के त्योहार को “गोकुलाष्टमी” भी कहा जाता है।
2) ये महापर्व ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर महीने में आता है।
3) यह त्योहार केवल भारत ही नहीं विदेशों में भी हिन्दुओं द्वारा मनाया जाता है।
4) भगवान श्रीकृष्ण सदियों से हिन्दुओं के आस्था के केंद्र रहे हैं।
5) श्रीकृष्ण अपने पिता वासुदेव और माता देवकी की आठवीं संतान हैं।
6) भगवान कृष्ण का पालन पोषण गोकुल में माता यशोदा ने किया।
7) इस दिन हिन्दू धर्म की महिलाएं, पुरुष, बच्चे व बूढ़े उपवास रखते हैं।
8) दूध से बने दही, माखन आदि श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय थे इसलिए बड़े हर्षोल्लास के साथ भारत में “दही-हांड़ी” मनाया जाता है।
9) लोग भक्ति गीत गाते हैं, पूजा करते हैं और एक दुसरे को प्रसाद बाटकर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाते हैं।
10) दुनिया में फैली बुराइयों और अधर्मी लोगों से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार पूरे भारत में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार आदि में बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। त्योहार के कुछ दिन पहले से ही बाज़ार में भगवान कृष्ण के रूपों की प्रतिमाएं और उनके वस्त्र आभूषण मिलने लगते हैं। लोग साथ मिलकर श्रीकृष्ण के जीवन की चमत्कारी घटनाओं की झांकियां बनाते हैं। लोग साथ मिलकर नृत्य करते हैं, गीत गाते हैं और उपवास के दिन रात 12 बजे कृष्ण के जन्मोत्सव का प्रसाद खाकर व्रत तोड़ते हैं। भगवान कृष्ण ने “श्रीमद्भागवत गीता” के रूप में संसार को सरोच्च ज्ञान दिया।
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Janmashtami Wishes in Hindi : इस जन्माष्टमी भेजें अपनों को ये बधाई संदेश
- Updated on
- सितम्बर 5, 2023
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की पावन अष्टमी की तिथि को मनाए जाने वाला पर्व कृष्ण जन्माष्टमी धर्म की स्थापना, मानवजाति के कल्याण और विश्व में शांति तथा सौहार्द का पुण्य प्रतीक है। सनातन वैदिक हिन्दू धर्म के अनुयाई इस पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ मानते हैं, ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यता है कि इस दिन श्री हरि नारायण ने मानव के उद्धार और अधर्म के अंत के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया था। Janmashtami Wishes in Hindi के माध्यम से आप जन्माष्टमी पर्व पर भेजे जाने वाले महत्वपूर्ण बधाई संदेश को जान पाएंगे, जिसको लिए आपको इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना पड़ेगा।
This Blog Includes:
Janmashtami wishes in hindi, मित्रों के लिए जन्माष्टमी पर शुभकामनाएं सन्देश, संस्कृत में जन्माष्टमी पर बधाई संदेश, janmashtami wishes in english.
Janmashtami Wishes in Hindi के माध्यम से आप कुछ महत्वूर्ण बधाई संदेशों को पढ़ पाएंगे, जो कुछ इस प्रकार है-
आपके द्वार पर ठाकुर जी आएं, आपका आँगन सदा खुशियों से महकता रहे। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
कान्हा आपके सारे संकटों को आपसे दूर करें, यही मेरी मंगल कामना है। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
आपके आँगन खुशियों की बारात आए, इस जन्माष्टमी आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हों। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
तुम्हारी दहलीज पर नकारात्मकता का नाश हो, सकारात्मकता ऊर्जाओं का इस जन्माष्टमी संचार हो। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
यह भी पढ़ें : श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा
खुश रहे आप सदा आपके यश का विस्तार हो, जन्माष्टमी के रंगों में रंगा सारा संसार हो। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
आपके उज्जवल भविष्य की कामना करती हूँ, मैं आपके साथ जन्माष्टमी पर्व के रंगों को चुनती हूँ। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
आपके हौसले ही आपके सपनों की उड़ान बनें, सफलता आपके क़दमों के निशानों का पीछा करे। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
सुकून से रह पाए आप भागदौड़ भरे जीवन में, आपकी कामयाबी के किस्से ज़माने को प्रेरित करें। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
आपका परिवार निरोगी रहे और आप भी स्वस्थ हो कर नित रोज नई तरक्की करें। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
आपके विचारों से सफल सारा संसार हो, आपके नेक इरादों से ही मानव का विकास हो। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
यह भी पढ़ें : Janmashtami Quotes in Hindi
Janmashtami Wishes in Hindi के माध्यम से आप मित्रों के लिए जन्माष्टमी पर शुभकामनाएं सन्देश पढ़ पाएंगे, जो कुछ इस प्रकार है-
तुम्हारी हमारी मित्रता कृष्ण-सुदामा जैसी निरंतर बनी रहे। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
तुम्हारे हिस्से का दुःख भी मैं स्वीकार कर लूँ, मित्र! तुम सदा खुश रहो यही मेरी कामना है। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
मेरे संघर्षों में तुम्हारा खड़ा होना ऐसा है, जैसे सुदामा के संकटों में माधव खड़े हो गए हों। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
हमारी मित्रता ही मुझे संकटों से जूझने का साहस देती है, तुम मेरे लिए कान्हा से कम नहीं हो मित्र! जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
दही हांडी में तुम मेरा आधार बनते और मैं मटकी फोड़ता हूँ, तुम्हारे कंधों पर चढ़कर मैं खुशियों के किस्सों को ज़िंदगी में मिली सांसों से जोड़ता हूँ। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
मेरे पग में आने वाले कंकड़ों को तुम अपने हाथों से हटाते हो, खुद दुखी होकर भी तुम मुझे हंसना सिखाते हो। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
हमारी मित्रता प्रत्यक्ष प्रमाण है एक सभ्य समाज का, यह समाज संपन्न रहे-समृद्ध रहे यही मेरी कामना है। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
तुम्हारी आंखों के मोती बहुत कीमती है मित्र, इन्हें यूँ ही व्यर्थ में न बहाना। सदा खुश रखना सबको और स्वयं भी खुश नज़र आना।जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
तेरी मेरी दोस्ती की दास्ताँ लिखी जाए सुनहरे अक्षरों से, ऐसे कि जैसे कहीं कोई इतिहास लिखा जाता हो। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
मेरी प्यारी सहेली! तुम आना मेरे आँगन में, हम दोनों हर्षोल्लास के साथ जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
Janmashtami Wishes in Hindi के माध्यम से आप संस्कृत में भावार्थ सहित जन्माष्टमी पर बधाई संदेश पढ़ पाएंगे, जो कुछ इस प्रकार है-
दिने दिने नवं नवं नमामि नन्दसंभवम्।
भावार्थ : प्रतिदिन नये रूप में, नंदकुमार को मेरा प्रणाम।
ईश्वरः परमः कृष्णः सच्चिदानन्दविग्रहः। अनादिरादिर्गोविन्दः सर्वेकारणकारणम् ॥
भावार्थ : भगवान तो कृष्ण हैं, जो सच्चिदानन्द स्वरुप हैं। उनका कोई आदि नहीं है, क्योंकि वे प्रत्येक वस्तु के आदि हैं। भगवान गोविंद समस्त कारणों के कारण हैं।
मन्दं हसन्तं प्रभया लसन्तं जनस्य चित्तं सततं हरन्तम्। वेणुं नितान्तं मधु वादयन्तं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥
भावार्थ : मृदु हास्य करनेवाले, तेज से चमकनेवाले, हमेशा लोगों का चित्त आकर्षित करने वाले, अत्यंत मधुर बासुरी बजानेवाले बालकृष्ण का मैं मन से स्मरण करता हूँ।
वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्। देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥
भावार्थ : मैं वसुदेव पुत्र, देवकी के परमानन्द, कंस और चाणूर जैसे दैत्यों का वध करने वाले, समस्त संसार के गुरू भगवान कृष्ण को वन्दन करता हूँ।
कृष्ण! शीघ्रमेहि!
भावार्थ : श्री कृष्ण! जल्दी आओ!
Janmashtami Wishes in Hindi के ब्लॉग के माध्यम से आप श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर आधारित अंग्रेजी में शुभकामना संदेशों को भी पढ़ पाएंगे, जो कि निम्नवत हैं-
May the occasion of Janmashtami be the day to bring into our lives many more joys and blessings of Krishna. Happy Janmashtami
Warm wishes on Janmashtami to you. Happy Janmashtami
I pray to Lord Krishna to always shower you with his choicest blessings and empower you with strength to follow the right path in life. Happy Janmashtami
May Lord Krishna bring into your life good fortune and glory and always be there to guide you in life. Happy Janmashtami
May the celebrations of Janmashtami be full of feasts, fasting and lots of good times with dear ones. Warm wishes on Janmashtami to you. Happy Janmashtami
Warm greetings on Krishna Janmashtami to you. May this special occasion be full of high spirits and celebrations for you and your loved ones. Happy Janmashtami
May Lord Krishna take away all your tensions and solve all your problems so that you just have happy and joyous moments to enjoy. Happy Janmashtami
On the occasion of Krishna Janmashtami, I pray that there are only roses and no thorns in your journey of life that is always blessed by Kanha. Happy Janmashtami
Janmashtami is the time to offer chappan bhog to Kanha and seek his blessings. Warm wishes on Janmashtami to everyone. Happy Janmashtami
Wishing a very Happy Janmashtami to you my dear and thank you for making this special occasion all the more special with your warm greetings. Happy Janmashtami
आशा है कि आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर Janmashtami Wishes in Hindi का यह ब्लॉग जानकारी से भरपूर लगा होगा। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
मयंक विश्नोई
जन्मभूमि: देवभूमि उत्तराखंड। पहचान: भारतीय लेखक । प्रकाश परिवर्तन का, संस्कार समर्पण का। -✍🏻मयंक विश्नोई
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Janmashtami in Fiji is known as "Krishna Ashtami". Most Hindus in Fiji have ancestors that originated from Uttar Pradesh, Bihar, and Tamil Nadu, making this an especially important festival for them. Fiji's Janmashtami celebrations are unique in that they last for eight days, leading up to the eighth day, the day Krishna was born.
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